बुधवार, 31 अगस्त 2011

सभी आजाद हैं, सिर्फ असली आजादी को छोड़ कर

सभी आजाद हैं, सिर्फ असली आजादी को छोड़ कर ................यह आजाद सोच वाले लोगों का देश है ! यहाँ ना किसी की जुबान पर ताला है, और ना ही किसी की हरकतों की कोई चाबी है, आखिर इन चौसठ सालों में हम भारतीय लोगों ने यही तो कमाया है, आज पूरी आजादी है दोस्त ! जो मन में आए बोलते रहो जो दिल करता है वही कर डालो ! मजहब के नाम पर ,राजनीति के नाम पर मनोरंजन के नाम पर हास्य शो के नाम पर, कुंठित विकास के वास्ते तुम उन्मुक्त भाव से कुछ भी कर डालो !
आज राखी सावंत मेरिज व्यूरो बना लो , मल्लिका शेरावत ओपन यूनिवर्सिटी खोल लो, इमरान हाशमी किसिंग इंस्टीच्यूट शुरू कर लो, और तो और लगे हाथों किसी दबंग राजनेता से उदघाटन भी करवा लो फिर देखो तुम्हारा हर गुनाह माफ  है !

सोमवार, 22 अगस्त 2011

पांच राष्ट्रीय भ्रम व वास्तविकता

                                         
वर्तमान समय में हमारे देश में पूरे देश में कुछ भ्रष्ट, बेईमान एवं शातिर किस्म के शैतानों के द्वारा ये झूठे प्रचार एवं प्रपंच रचकर एक षड्यंत्र के तहत देश के लोगो में आत्मग्लानि पैदा करने के लिय ये झूठ व झूठे आंकड़े घड़े गए हैं,जबकि हकीकत कुछ और ही है |
१.भारत एक गरीब देश है ! ....कोरा झूठ |
तथ्य : भारत दुनिया का सबसे ताकतवर एवं अमीर देश है |
   यह एक बहुत बड़ी सच्चाई है कि दुनिया के अधिकांश विकसित देशों के लोग कमजोर परन्तु वहाँ का नेतृत्व एवं कानून मजबूत हैं |यहाँ भारत के लोग मजबूत हैं परन्तु देश का नेतृत्व कायर,बुजदिल एवं भ्रष्ट है तथा कानून कमजोर हैं | भारत के स्थानीय निकायों, राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार का कुल बजट 20 लाख करोड रुपये है |और यह 20 लाख करोड रूपये का बजट तो तब है जबकि देश में चारों तरफ भ्रष्टाचार शिखर पर है | इस देश में भ्रष्टाचार न हो तो ये बजट लगभग 35 -40 लाख करोड़ का हो सकता है | आप ही सोचें , आप ही निर्णय करें कि क्या एक गरीब देश का इतना बड़ा बजट हो सकता है| जानबूझकर इस देश के बेईमान व भ्रष्ट नेताओं  ने भारत को गरीब बनाया हुआ है |
2. भारत में लगभग 5% लोग ही टैक्स भरते हैं !...सफ़ेद झूठ |
वास्तविकता : भारत में 100% लोग टैक्स देते हैं |
जो देशवासी तन पर दो कपडे पहनता है या साल में एक दो साबुन  प्रयोग में लाता है अथवा जुटे चप्पल व दुकान पर जाकर वः जीवन यापन कि जरुरी प्रयोग कि वस्तु आटा , नमक ,टूथपेस्ट ,तेल , मसाले , कागज , कलम ,लोहा , सीमेंट आदि खरीदता है , तो इन सब वस्तुओं पर वः वैट/एक्ससाइज आदि ड्यूटी बहरकर ही दुकानदार से क्रय करता है | एक आदमी भी स्टैम्प ड्यूटी, पीने के पानी पर टैक्स, गृहकर,सीवेज टैक्स ,रोड टैक्स ,सेल टैक्स अर्थात किसी न किसी प्रकार का टैक्स जीवनभर जरुर देता है , तो क्या यह सफ़ेद झूठ नहीं है कि मात्र पाँच प्रतिशत लोग ही टैक्स चुकाते हैं |ये झूठा भ्रम प्रचार इसलिय किया जाता है है कि दश के बेईमान लोग यदि लुटें तो कोई आवाज न उठाये |उनकी आवाज को दबाने के लिय यह झूठ बोला जाता है.ताकि इनसे कोई टैक्स मनी का हिसाब मांगे तो ये भ्रष्ट लोग कह सकें कि तुम तो टैक्स देते ही नहीं ,तुम हिसाब मांगने वाले कौन होते हो ?
3. सब लोग बेईमान हैं !....सबसे बड़ा षड्यंत्र |
सच्चाई :भारत में 99% आम व्यक्ति ईमानदार है अथवा इमानदारी से जीना चाहते हैं |
इस तरह के झूठ को कि सब लोग बेईमान हैं , इस रह से फैलाया गया है कि एक देशभक्त , ईमानदार एवं चरित्रवान भारतीय के मन में ये गहरा भ्रम हो गया कि सब बेईमान है जबकि हकीकत यह है कि भारत देश के आमजन 99% ईमानदार है या इमानदारी से जीना चाहता है | तथाकथित बेईमान लोगो ने अपनी बेईमानी को छुपाने के लिय आम लोगो को षड्यंत्र रच के व कुछ कानून व व्यवस्थाओ को इस तरह बना इया कि आम आदमी रिश्वत देने के मजबूर हो जाए व हम जनता को कह सकें कि सब बेईमान हैं |
4. भ्रष्टाचार कभी नहीं मिट सकता , भ्रष्टाचारी ही देश का शासन करेंगे !...गहरी साजिश |
संकल्प : राष्ट्रवादी , ईमानदार लोग ही देश का शासन करेंगे |
भ्रष्टाचारी लोग देश पर शासन करेंगे |यह झूठ भी एक साजिश के तहत बोला जा रहा है \जिससे कि ईमानदार लोग कभी सता में नहीं आ सकें | और एक के बाद एक दूसरा बेईमान सत्ताओ के सिंहासन पर बिथकर बेरहमी से देश को लूटे रहें |इस देश में देशभक्त ,चरित्रवान ,ईमानदार , पढ़े लिखे लोग भी हैं जो इस देश को एक अच्छा शासन दे सकते है | तो समस्त देश वासियों के मन एम् एक प्रशन उत्पन होता है क्या ईमानदार लोग एमपी व एमएलए बन पायेंगे | अवश्य बन पायेंगे बस संगठित होने कि जरूरत है |
5. विदेशीपूंजी निवेश के बिना ,न तो देश का विकास संभव है और न ही देश में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे !....एक प्रायोजित झूठ |
विश्वास : संसाधनों का  100% उचित उपयोग होने से होगा राष्ट्र का विकास और नहीं रहेगा कोई बेरोजगार |

यह भी देश को लूटने का एक प्रयोजीय झूठ है |जबकि हकीकत यह है कि देश कि पूंजी भ्रष्टाचार व विदेशी कंपनियों कि लुट से बच जाये तो इस कि अर्थव्यवस्था में इतना पैसा होगा कि ढांचागत विकास होगा जिससे कोई बेरोजगार नहीं रहेगा |व हमारे पास इतना पैसा आएगा कि हम दूसरे देशो को उस पैसे को ब्याज पर दे पायेंगे |
जबकि हकीकत यह है हमारे देश के बेईमान नेताओं व कुछ बेईमान उद्योगपतियों ने टैक्स व विकास योजनायों का पैसा चोरी करके विदेशी बैंको में जमा कर दिया है |जिसको अन्य देश काम में ले रहे हैं | यहाँ मंहगाई कि मार जनता झेल रही है |

अब इस सच को जान लेने के बाद मन एक ही संकल्प कि आवश्यकता है कि अब केवल सत्ता परिवर्तन से काम नहीं होगा बल्कि व्यवस्था परिवर्तन कि आवश्यकता है व भारत के स्वाभिमान को पुन : उपर उठाने के लिय ईमानदार देश भक्त लोगो का साथ देना होगा ...इसमें कोई भी हो सकते हैं चाहे वो यह काम स्वामी रामदेव ज करें ,चाहें अन्ना हजारे जी करें या किरण बेदी जी व कोई अन्य ....कोई भी हो सकते है नाम तो इस लिय बताएं कि वर्तमान समय में इनलोगों ने देश को एक नयी दिशा देने कि कोशिश कि है .....अब समय ज्यादा  सोचने का नहीं बस इनका साथ देने का है | फैसला आपके हाथ है | कि आप इस देश को आगे बढ़ाना चाहते है या फिर यूँ ही लूटने देना चाहते हैं |

शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

व्यवस्था परिवर्तन कि आवश्यकता



पन्द्रह अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजो के शासन से मुक्ति से तो मिल गई लेकिन क्या सही मायने में हमारी व्यवस्था बदली ?क्या देश का आम नागरिक गुलामी कि बेड़ियों से निकल पाया ? अगर नहीं तो आज फिर व्यवस्था परिवर्तन कि आवश्यकता क्यों महसूस हुई ?इसी पर बात करता हूँ | कि आजादी के इन 64 वर्षों के बाद भी देश में जो समस्याएं , चुनोतियाँ व् भयावह दर्दनाक परिस्थियां राष्ट्र में पैदा हुई हैं , वे इस बात का प्रमाण हैं कि हमारी नीतियां व् व्यवस्थाएं देश वासियों को न्याय नहीं दें पा रही हैं | अत: हमारे देश कि नीतियों व् पूरी व्यवस्था कि नए सिरे से पुन: संरचना कि नितांत आवश्यकता है |

1. आजादी के 64 वर्ष बाद भी यदि भारत के 50% से ज्यादा लोग अनपढ़ हैं, हमें अपने देश कि भाषाओँ में उच्च तकनिकी कि शिक्षा पाने का अधिकार नहीं है , गरीब व अमीर के लिय एक जैसी शिक्षा व्यवस्था नहीं है ,हमारे पूर्वजो के ज्ञान ,जीवन व चरित्र के बारे में अपमान जनक बातें बताई जाती हैं - तो क्या ये हमारी शिक्षा व्यवस्था कि असफलता नहीं है ?

गुरुवार, 4 अगस्त 2011

गोवा मुक्ति का युद्ध/भारत पुर्तगाल युद्ध

एक पुराना लेख जो आप सभी बंधुओं से यहाँ साझा करना चाहता था गोवा की मुक्ति से सम्बंधित जिसका इतिहास वर्तमान परिवेश में  या तो लोग भूल चुके हैं या शायद कुछ लोग जानते ही न हों ....
सामान्यतया भारत में जब हम जब आजादी के बाद के युद्धों की बात करतें है तो हमारे जहन में पाकिस्तान के साथ के चार युद्ध (1947,1965,1971,1999) एवं चीन के साथ युद्ध (1962 सन) याद आता है ...
मैंने अपनी संस्था व आस पास के कुछ लोगों पर एक सर्वेक्षण किया की वो भारत पुर्तगाल संबंधों के बारें में क्या जानते है .. ज्यादातर लोगों ने कुछ भ्रमण करने वाले स्थलों का नाम लिया.. कुछ ने पुर्तगाल के नाम पर मोनिका बेदी और अबू सलेम को भी याद कर लिया ..
यहीं से मुझे ये विचार आया की क्यों न मैं भारत पुर्तगाल के बीच हुए युद्ध के बारे में कुछ विचार आप सब से साझा करूँ जो सन 1961 में गोवा की आजादी के लिए हुआ, और हमारी भारतीय सेना ने विजय पताका फहराते हुए गोवा को पुर्तगालियों के 450 साल पुराने कब्जे से मुक्त कराया ..
ये वही गोवा है जिसे हम हिंदुस्तान और बाहर के लोग भी अपना प्रमुख पर्यटन स्थल मानतें है ... इस युद्ध की पृष्ठभूमि में जाने से पहले चलिए संक्षेप में गोवा के इतिहास पर एक नजर डाल लें ..
गोवा का प्रथम वरदान हिन्दू धर्म में रामायण काल में मिलता है .. पौराणिक लेखों के अनुसार सरस्वती नदी के सुख जाने के कारण उसके किनारे बसे हुए ब्राम्हणों के पुनर्वास के लिये परशुराम ऋषि ने समंदर में शर संधान किया ... ऋषि का सम्मान करते हुए समंदर ने उस स्थान को अपने क्षेत्र से मुक्त कर दिया .. ये पूरा स्थान कोंकण कहलाया और इसका दक्षिण भाग गोपपूरी कहलाया जो वर्तमान में गोवा है