tag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post5923323702439697297..comments2023-05-26T16:44:56.926+05:30Comments on सुव्यवस्था सूत्रधार मंच: शिक्षा क्षेत्र में प्रस्तावित नयी कानूनी रचनाये ...Unknownnoreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-3032280314353042312012-06-15T15:11:36.096+05:302012-06-15T15:11:36.096+05:30aapki rai ls main sahmat hu,aapki rai ls main sahmat hu,shishupalhttps://www.blogger.com/profile/07108519466115397327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-79437121265233514292012-06-15T15:09:17.016+05:302012-06-15T15:09:17.016+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.shishupalhttps://www.blogger.com/profile/07108519466115397327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-4603098749226726142011-07-24T23:24:30.404+05:302011-07-24T23:24:30.404+05:30बस एक बात कहूंगा कि श्रद्धावान ज्ञान नहीं प्राप्त ...बस एक बात कहूंगा कि श्रद्धावान ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकता।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-55792111407680913202011-07-16T13:04:40.095+05:302011-07-16T13:04:40.095+05:30सही बात है ..सनक न आधुनिकता की न प्राचीनता की उचित...सही बात है ..सनक न आधुनिकता की न प्राचीनता की उचित है....हाँ 'युगों के अनुभव' अवश्य ही ' सामयिक प्रयोग व उसके तात्कालिक परिणाम' से उच्च कसौटी होती है ....दोनों का समन्वय से ही राह निकालना उचित रहता है.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-65863467535234466182011-07-15T23:03:16.892+05:302011-07-15T23:03:16.892+05:30सहमत हूँ आशुतोष जी परन्तु केवल आधिनिकता की सनक के ...सहमत हूँ आशुतोष जी परन्तु केवल आधिनिकता की सनक के कारण सब कुछ प्राचीन छोड़ देने और केवल छोड़ ही नहीं देने अपितु उसकी महानता को अतार्किक रूप से अस्वीकार करने की पृवत्ति दुखद हैअंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-80745135701042785192011-07-15T22:59:11.582+05:302011-07-15T22:59:11.582+05:30प्राचीन सब श्रेष्ठ् नही होता और न नवीन पूर्णतः निर...प्राचीन सब श्रेष्ठ् नही होता और न नवीन पूर्णतः निर्दोष..<br />इस बात को ध्यान में रखकर अगर वास्तविक रूप से कार्यान्वयन हो तो मैकाले की गुलामी से आजदी एवं एक स्वावलंबी पद्धति का निर्माण हो सकता है..<br />बहुत सुन्दर ज्ञानदायक विचारणीय आलेख..आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-90224829924988420652011-07-15T17:02:59.108+05:302011-07-15T17:02:59.108+05:30हमारा इतिहास सदियों से गवाह रहा है कि विश्व निर्मा...हमारा इतिहास सदियों से गवाह रहा है कि विश्व निर्माण में भारत का आधुनिक व महत्वपूर्ण योगदान रहा है !<br />जय श्रीरामसंजय राणा https://www.blogger.com/profile/16961732128880151042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-4011473879063378282011-07-15T13:56:19.557+05:302011-07-15T13:56:19.557+05:30गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अन्यंत सार्थक लेख आया है ...गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अन्यंत सार्थक लेख आया है इस मंच पर , हमारी इतनी समृद्ध शिक्षा परंपरा रही है जिसमे जनकल्याण की भावना निहित थी और आज हमें बताया जाता है की यदि अंग्रेज नहीं होते तो हमारे देश में कोई शिक्षा व्यवस्था ही नहीं होती |अंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-20074309464177877072011-07-15T11:35:05.853+05:302011-07-15T11:35:05.853+05:30अरे अंकित भाई अच्छा हुआ ये बतलाया आपने यार। ये तो ...अरे अंकित भाई अच्छा हुआ ये बतलाया आपने यार। ये तो बहुत अच्छा लेख है। आपका ब्लॉग बुकमार्क कर रहा हूँ। आज शायद इंडिया में गुरू-पूर्णिमा भी है ना ? तो इस अवसर पर यह लेख और भी प्रासंगिक हो गया है। आपको और मित्रगणों को हैप्पी गुरुपूर्णिमा।किलर झपाटाhttps://www.blogger.com/profile/07325715774314153336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-154935882294441812011-07-15T03:46:07.553+05:302011-07-15T03:46:07.553+05:30भाई देवेन्द्र शर्मा जी, आपसे पूरी तरह सहमत हूँ|
हम...भाई देवेन्द्र शर्मा जी, आपसे पूरी तरह सहमत हूँ|<br />हमारे देश में वर्तमान में शिक्षा का स्तर बहुत गिर गया है| इसी कारण वह श्रेष्ठता नहीं मिल पा रही जो मिलनी चाहिए|<br />कहने को तो लुछ अच्छी संस्थाएं हैं किन्तु वे भी आरक्षण नामक बीमारी से ग्रसित हैं| ऐसे में अच्छी शिक्षा का विकल्प होने के बाद भी छोटे मोटे संस्थानों की शरण लेनी पड़ती है|<br />जबकि एक समय वह था जब भारत के गुरुकुलों में विदेशों से छात्र पढने आते थे|<br />ज्ञान-विज्ञान, कला व्यापार एवं औषधियों से भारत भूमि परिपूर्ण थी|दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.com