tag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post4642974471484303364..comments2023-05-26T16:44:56.926+05:30Comments on सुव्यवस्था सूत्रधार मंच: व्यवस्था परिवर्तन संभव है परन्तुUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-17713330756299779422011-07-31T17:23:07.819+05:302011-07-31T17:23:07.819+05:30साथियों,
जय हिन्द.
खुशहाल, स्वावलम्बी और शक्तिशा...साथियों,<br />जय हिन्द. <br />खुशहाल, स्वावलम्बी और शक्तिशाली भारत के निर्माण का एक खाका हमने भी तैयार किया है: http://khushhalbharat.blogspot.com/<br />ईति.जयदीप शेखरhttps://www.blogger.com/profile/18291254457561315778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-186957034154927302011-07-18T20:24:20.143+05:302011-07-18T20:24:20.143+05:30सबसे पहले मैं सुव्यवस्था सूत्रधार मंच को ह्रदय की ...सबसे पहले मैं सुव्यवस्था सूत्रधार मंच को ह्रदय की गहराइयों से धन्यवाद देता हूँ जिसने इस भारतीय संस्कृति - धरोहर, सामाजिक मूल्यों व भारतीयता के विचारों को सांझा करने वाले मंच पर मेरे लेख को प्रकाशित कर मेरा सम्मान बढ़ाया ! आशा व् उमीद करूँगा कि यह मंच अपनी इस गरिमा को (हम व् आप सब पाठकों व् लेखकों के अमूल्य विचारों से) हमेशा बानाए रखेगा और एक दिन अपने आप में कोई कीर्तिमान स्थापित करेगा, जिसके सम्मान के पात्र आप सभी बंधुगन होंगे ! <br />@ दिवस भाई आपने मेरे लेख को सराहा और उसके अंतर्गत इस में छूटी कमियों को पूरा किया और कुछ तथ्यों पर ध्यान दिलाया और साथ में एक वादा किया कि समय मिलते ही एक सुझावों भरा लेख लिखोगे, वरह्हाल तब तक इन्तजार करूँगा, परन्तु इन सबके साथ मेरे लेख को सरहाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !<br />@ आशुतोष भाई मुझे पता है आप व्यस्त चल रहे हैं, पर फिर भी लेख पर प्रतिक्रिया और सराहना के लिए आपका आभार !<br />@गीत जी @ डा० रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी आपका भी बहुत बहुत आभार !संजय राणा https://www.blogger.com/profile/16961732128880151042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-86669283859970842472011-07-18T18:03:35.524+05:302011-07-18T18:03:35.524+05:30आँकड़ों के साथ बढ़िया विश्लेषण किया है आपने!आँकड़ों के साथ बढ़िया विश्लेषण किया है आपने!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-72403914240219578732011-07-17T22:20:18.369+05:302011-07-17T22:20:18.369+05:30कृषि क्षेत्र की अनदेखी एवं शोषण करके देश का धन बिद...कृषि क्षेत्र की अनदेखी एवं शोषण करके देश का धन बिदेशों की अर्थव्यवस्था में लगाया जा रहा है..और किसान आत्महत्या कर रहा है..<br />इस संविधान और इस लोकतंत्र का इससे बड़ा मजाक क्या होगा..निरर्थक होते संविधान और लोकतंत्र की और इंगित करती हुए आप की रचना के लिए धन्यवाद्..गीतhttps://www.blogger.com/profile/05822926085796918688noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-51079975415169131532011-07-17T22:11:57.735+05:302011-07-17T22:11:57.735+05:30इस संविधान में भी और व्यव्हार में भी सभी नीतियां ब...इस संविधान में भी और व्यव्हार में भी सभी नीतियां बड़ी कंपनियों के हिसाब से बन रही हैं , एक फैक्ट्री लामाने के लिए तो एकल खिडकियों की व्यवस्था की जा रही है परन्तु कभी किसान के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गयी , कारें दिल्ली स आगरा तक कम समय में पहुँच जाएँ इस लिए किसानो की जमीन छीन ली गयी , , क्या अमीरों का समय गरीबों के प्राणों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है आज के शासन के लिए या यह शासन व्यवस्था का दोष है ??अंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-38821495204194532042011-07-17T21:54:07.519+05:302011-07-17T21:54:07.519+05:30देश के हालात पर गहन चिंतन, लेख जितना जानकारी युक्त...देश के हालात पर गहन चिंतन, लेख जितना जानकारी युक्त और मुद्दा निहित है, वैसा ही देवेस जी की टिप्पणी है. साधुवादहरीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-12049070294549710582011-07-17T15:37:46.064+05:302011-07-17T15:37:46.064+05:30संजय भाई जरा ब्यास्त्ता के कारण पोस्ट देरी से पढ़ ...संजय भाई जरा ब्यास्त्ता के कारण पोस्ट देरी से पढ़ पाया..<br />जानकारीयाँ बहुत तथ्यात्मक है और एक गर्त में जाते हुए भविष्य की और इशारा करती है..<br />जो खाई बढ़ रही है समाज में उसके ही दुष्परिणाम के रूप में नक्सलवाद और आतंकवाद जैसी सम्सयें उत्त्पन्न हुए और बढती जा रही है...<br />लोकतंत्र की चुनाव व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन भी एक मुद्दा है..जिससे की सही लोग व्यवस्था में आये और सबके लिए प्रगतिशील व्यवस्था का निर्माण करे ..<br />बहुत सुन्दर आलेख हमे ये चैये की हम कम से कम अपने हिस्से को सुदारें व्यवस्था में परिवर्तन आएगा ही,,आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1135015360748959650.post-56829755095712496762011-07-17T13:17:34.218+05:302011-07-17T13:17:34.218+05:30संजय भाई दिल जीत गए आज तो आप...
भारतीय संविधान की ...संजय भाई दिल जीत गए आज तो आप...<br />भारतीय संविधान की हालत तो आप भी जानते हैं भाईसाहब| इसी भारतीय संविधान के अंतर्गत Indian Independence Act की प्रस्तावना के दो बिंदु इस प्रकार हैं...<br />1. Two independent dominions India and Pakistan shall be set up in India.<br />2. Both dominions will be completely self governing in their internal affairs, foreign affairs and national security, but the British monarch will continue to be their head of state represented by the Governor General of India and a new Governor General of Pakistan.<br />जब भारत कोई स्वतंत्र राष्ट्र है ही नहीं तो इसकी नीति तो विदेशी ही निर्धारित कर रहे हैं|<br /><br />किसानों पर वही अत्याचार हो रहे हैं जो अँगरेज़ किया करते थे| १८६० का बना भूमि अधिग्रहण क़ानून आज भी चला आ रहा है|<br />किसानों की उन्नति के लिए गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने पुराने ढर्रे से हटकर बेहतर प्रयास किये हैं| उन्होंने किसान व बाज़ार के मध्य की मध्यस्थता ही समाप्त करवा दी| इससे किसानों को अपनी फसलों के उचित दाम मिल जाते हैं|<br />किसान ऋण के लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध है|<br /><br />"1,50,000 से ज्यादा गावं आज भी पक्की सड़कों से नहीं जुड पाऐ हैं, और 1,10,000 से ज्यादा गावं आज भी बिजली और पानी जैसी सुविधाओं को पाने के लिए मोहताज हैं"<br /><br />अब आप ही देख लीजिये, भारत में करीब 6,50,000 गाँव हैं, जिनमे से इतने गाँव आज भी मुख्या धरा से बहुत दूर हैं| 1,50,000 अथवा 1,10,000 कोई छोटी संख्या नहीं है| यदि आज़ादी(?) के 64 वर्षों बाद भी गाँवों की ये हालत है तो उखाड़ दो ऐसी सरकारों को व कचरे के डब्बे में फेंक दो ऐसे संविधान को, जो भारत की अर्थव्यवस्था के आधार किसान को ही विकसित न कर सके|<br />इस विषय पर कुछ सुझाव के रूप में एक लेख समय मिलते ही लिखूंगा|<br /><br />बहरहाल एक अच्छे आलेख के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद...दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.com