शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

भाई राजीव दीक्षित के बाद स्वदेशी आंदोलन की दिशा-नौ दिन चले अढ़ाई कोस


मित्रों इस पोस्ट पर कुछ भी लिखने से पहले मै एक बात पहले से स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की मै भाई राजीव दीक्षित का एक प्रबल समर्थक हूँ एवं उनके आदर्शो के अनुसार कार्य  करने की कोशिश करता हूँ। इस पोस्ट का उद्देश्य किसी भी प्रकार से भी भाई राजीव दीक्षित या किसी सम्बद्ध पर प्रश्न उठाना नहीं मगर एक स्वाभाविक समर्थक होने के कारण अपने प्रश्न और विचार आज राजीव भाई को श्रद्धांजलि  देने के बाद प्रकट करना चाहता हूँ। राजीव भाई के विषय मेरी पिछली पोस्ट कृपया यहाँ पढ़ें। 
राजीव दीक्षित किसी परिचय का मोहताज शब्द नहीं है जैसा की पहले भी कई अवसरो पर मै कह चुका हूँ की आधुनिक भारत मे यदि दो महापुरुषों की बात करू तो राजीव भाई और विवेकानंद  को काफी  ही पाता हूँ।राजीव भाई का आंदोलन आजाद इंडिया मे था और विवेकानंद का गुलाम भारत मे ॥मगर उद्देश्य दोनों ही समय,हिंदुस्थान मर चुके स्वाभिमान को जगाना था. 
राजीव भाई के दुखद निधन के बाद जो अपूर्णीय क्षति हुई उस रिक्त स्थान को भर पाना असंभव सा प्रतीत हो रहा था । मगर मुझे और मेरे जैसे कई राजीव भाई के  अनुयायियों को ये जान कर बहुत ही संतुष्टि हुई की राजीव भाई के आंदोलन की अगली कड़ी स्वदेशी भारत पीठम के रूप मे भाई प्रदीप दीक्षित जी आगे बढ़ा रहे हैं। इसी सन्दर्भ में  पिछले साल भाई प्रदीप दीक्षित जी का व्याख्यान ६ नवम्बर 2011 (रविवार) को नई दिल्ली में जनकपुरी स्थित आर्य समाज मंदिर में भाई अरुण अग्रवालजी के देखरेख एवं प्रबंधन  में संपन्न हुआ था । उसके बाद हम कई राज्यों से समर्पित कार्यकर्ता वर्धा पहुचे और विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम वहाँ आयोजित हुए। 
मगर धीरे धीरे जैसे जैसे समय  बीतता गया ऐसा  अनुभव हुआ की कई समर्पित कार्यकर्ता धीरे धीरे इस आंदोलन के प्रति उदासीन होते गए उनके अपने तर्क थे । इस बीच हालाँकि आंदोलन से जुडने वाले लोगो की भी कमी नहीं थी । कुछ मुद्दो पर व्यक्तिगत रूप से मै भी व्यक्तिगत रूप से सहमत नहीं था मगर यदि एक बहुत बड़ा जनजागरण का अभियान चल रहा हो तो किसी व्यक्ति विशेष की असहमति ज्यादा महत्त्व नहीं रखती। मगर पिछले कुछ दिनो मे धरताल पर कार्य करते समय एवं सामाजिक  संचार के साधनो के माध्यम से मुझे ऐसा प्रतीत हुआ की एक हम सभी राजीव भाई के समर्थको के साथ साथ एक ऐसा समूह समाज मे तैयार हो रहा है जो अब तक राजीव भाई के विरोध मे आ चुका है ।शायद  आने वाले दिनो मे ये ज्यादा मुखर हो । दुख की बाद ये है ये एक बड़ा वर्ग सिर्फ राजीव भाई के आंदोलन के प्रबन्धको की नाकामी के कारण उनका विरोध कर रहा है ॥ 
इनमे से कुछ लोग कभी राजीव दीक्षित के समर्थक या कुछ लोग तटस्थ लोग हैं  ॥मैंने अपने अनुभवों और सर्वेक्षण के आधार पर कुछ बाते पायी है जो इस ब्लॉग के माध्यम से सामने रख रहा हूँ ॥ इससे आप सहमत भी हो सकते हैं या असहमत क्यूकी ये मेरा अपने स्तर से किया गया व्यक्तिगत  सर्वेक्षण है । यदि कटु लगे तो क्षमा प्रार्थी हूँ । ये सारे सर्वेक्षण उत्तर भारत के है ।  

1 ऐसा कई कार्यकर्ताओं  को लग रहा है की राजीव भाई का आंदोलन सिर्फ सीडी बेचने का धंधा बन के रह गया है । किसी सार्वजनिक मुद्दे पर इसकी उपस्थिती न के बराबर या स्टॉल लगाने तक होती है । आन्दोलन के लोग भावनाओ को बेचने से आगे कुछ नहीं कर रहे है । 

ज़्यादातर आंदोलन शहरो के इर्द गिर्द सीमित है (शायद महाराष्ट्र इसका अपवाद हो)। यदि ग्रामीण क्षेत्रों मे कुछ कार्य हो रहा है तो फिर प्रबंधन की कमी के कारण आस पास के लोगो तक इसकी खबर नहीं पहुच पाती है.

3 आंदोलन के कुछ क्षेत्रों के कर्णधार  कम से कम समय मे ज्यादा से ज्यादा प्रसिद्ध होना चाहते हैं,या दूसरे शब्दों मे कह ले तो हर दूसरा व्यक्ति अपने आप को राजीव भाई ही समझ रहा है उनके जैसा बनने का प्रयास करने मे कोई बुराई नहीं मगर उन तथाकथित लोगो को ये सर्वदा ध्यान रखना होगा की  "राजीव दीक्षित " के लिए समाज का हित सर्वोपरि था । 

4  पिछले साल के कार्यक्रम मे Paid Poets का विचार काफी लोगो को निरर्थक लगा॥ कई लोगो को ऐसा प्रतीत हुआ की कई तथाकथित स्थापित कवि लोग राजीव भाई को श्रद्धांजलि देने की बजाय अच्छी ख़ासी कमाई  और प्रचार के उद्देश्य से वर्धा पधारे थे । जबकि सुदूर राज्यों से आने वालों का उद्देश्य कुछ और था । 

5 भाई राजीव दीक्षित के आंदोलन को आगे बढ़ाने मे भारत स्वाभिमान का एक विशेष योगदान था क्यूकी भारत स्वाभिमान मे गाँव गाँव तक फैला हुआ संगठन है मगर स्वदेशी भारत पीठम और भारत स्वाभिमान के कार्यकर्ताओं के बीच पिछले साल वर्धा मे 30 नवम्बर को स्वदेशी मेले के दौरान पोस्टर लगाने को ले कर हुए विवाद ने ये स्पष्ट कर दिया की इन दोनों संगठनो के बीच सब कुछ अच्छा नहीं है । 
इस विषय पर मैंने भारत स्वाभिमान के कुछ  वरिष्ठ लोगो से बात की उनके अनुसार कुछ एक लोग जो उस समय स्वदेशी भारत पीठम वर्धा मे थेवो भारत स्वाभिमान हरिद्वार कार्यालय से निष्कासित/स्वेछा से चले गए लोग थे,अतः उन लोगो का स्वामी रामदेव के संबंध मे विचार नकारात्मक था जो गाहे बेगाहे संचार और सामाजिक मीडिया के साधनो द्वारा  सामने भी आता था। इसके कारण भी स्वामी रामदेव  के भारत स्वाभिमान ने  स्वदेशी भारत पीठम से दूरी बना ली । हलाकी  कौन सही  है ये एक अलग विषय था। इस विषय मे वर्धा कार्यालय तक कई लोगो ने अपने विचार पहुचाए मगर कार्यवाही कुछ खास नहीं हुई। मुझे नहीं लगता की स्वामी रामदेव इस साल वर्धा आएंगे यदि आए भी तो ये सिर्फ राजीव भाई को श्रद्धांजलि प्रेषण और भाई प्रदीप दीक्षित जी से व्यक्तिगत संबंधो के कारण होगा। 

6 बाबा रामदेव और स्वदेशी भारत पीठम के विचार लगभग एक ही है अतः स्वाभाविक है की जब तक किसी एक एक संगठन ने "विचारों का व्यवसायीकरण" नहीं किया है तब तक सब सही रहेगा॥ स्वामी रामदेव का संगठन पहले से ही स्वदेशी उत्पादो के प्रचार प्रसार एवं व्यवसाय मे है अतः स्वदेशी भारत पीठम जब भी आंशिक या पूर्णतया कोई व्यावसायिक परियोजना शुरू करता है, भारत स्वाभिमान इसे अपने स्वदेशी व्यापार मे एक अन्य साझीदार/प्रतिस्पर्धी की तरह देखेगाअतः धरातल पर सहयोग संभव नहीं है ।

अब एक ऐसा विषय जो इन सब से इतर है । राजीव भाई के कुछ व्याख्यानों पर जो समाज मे प्रसारित किए जा रहे हैं उस पर कुछ लोगो को आपत्ति है। जैसा की सभी जानते हैं की राजीव भाई के शोध कार्यों मे उनकी टीम का भी एक महत्त्वपूर्ण योगदान होता था जो उनके दिशानिर्देशों पर काम करती थी। ये एक स्वाभाविक सी बात है की कुछ तथ्यों और आंकड़ो मे कुछ बाते ऐसी हो जिससे सहमत न हुआ जा सके । जाने अनजाने उन तथ्यों को प्रसारित किया जा रहा है जिससे की एक विचारधारा के लोगो को समस्या और कुछ का महिमामंडन होता है । अब राजीव भाई तो इन प्रश्नो का उत्तर देने के लिए हैं नहीं और उनके आंदोलन के तथाकथित प्रबन्धक इन आपतियों पर कोई संग्यान नहीं लेते। "इस्कॉन मंदिर" ,"मंगल पांडे" "महात्मा गांधी" ,"वीर सावरकर" ,"गौ हत्या का कारण अंग्रेज़??जैसे धर्म और इतिहास के अनेक मुद्दे  संवेदनशील मुद्दो पर इस आंदोलन के विचार स्पष्ट नजर नहीं आते । न ही कोई ऐसा माध्यम है जहाँ से इन बातों का स्पष्टीकरण मिल सके । 
अतः कई लोग सिर्फ कुछ एक विवादित मुद्दों के स्पष्टीकरण न मिलने के कारण या तो उदासीन या विरोध मे आ गए है । इससे नुकसान ये है कुछ 1-2% बातों  को गलत दिखाकर वो सारे शोधकार्यों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। 

राजीव भाई का पार्थिव शरीर 
8 राजीव भाई की आकस्मिक मृत्यु और उसपर उठते प्रश्नो पर आज तक कोई स्पष्ट विचार नहीं आया जिससे इस मुद्दे पर नित्य नयी नयी कहानियाँ बनाई जाती रहती है । आंदोलन से जुड़े कुछ लोग ऐसे भी है जो आलोचना करने वालों पर व्यक्तिगत हो कर और आक्रामक हो कर प्रतिक्रिया देने लगते है जबकि उन्हे धैर्यपूर्वक ये समझना चाहिए की आलोचनाओ से सुधार और परिष्करण की नीव पड़ती है। 

ये देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है की राजीव भाई के आंदोलन से लाखो लोग जुड़ रहे है मगर ये एक कटु सत्य है की प्रबंधन की कमी के कारण उसी प्रकार कुछ लोग आंदोलन से दूर भी होते जा रहे हैं। उन्हे स्थायी रूप से जोड़े रखने के लिए कोई योजना नहीं दिखाई देती।विचारो और आंदोलन की दशा और दिशा का संवर्धन पिछले सालो मे हुआ है उससे बहुत जायदा संतुष्टि  समर्थको को नहीं हुई होगी। 

इन सारे विरोधाभाषों के बाद राजीव भाई का एक स्वाभाविक समर्थक  होने के कारण  अपने सभी मित्रों को  इस आंदोलन से जुडने का अनुरोध करता हूँ और ऐसा विश्वास है की  भाई प्रदीप जी के नेतृत्व मे ये आंदोलन सफल होगा और राजीव भाई की विचारधारा का क्रियान्वयन वास्तविकता के धरातल पर सक्रिय रूप से आने वाले वर्षों मे दिख पाए।

राजीव भाई जी को उनके जन्मदिवस एवं द्वितीय पुण्यतिथि पर सादर नमन एवं श्रद्धांजलि.

2 टिप्‍पणियां:

  1. भाई राजीवजी के विचार हर राष्ट्रभक्त के हदय को झकझोरते रहेंगे और ऐसा नहीं है कि कुछ लोगों के नकारात्मक रवैये के कारण उनके विचारों का प्रचार प्रसार नहीं होगा वो सोशल मीडिया के माध्यम से हो रहा है और उसमें अगर स्वदेशी भारत पीठंम और भारत स्वाभिमान ट्रस्ट अपनी सक्रिय भूमिका निभाते है तो और भी अच्छा है !!

    जवाब देंहटाएं
  2. PARAM SRADHEYAYA SRI RAJIV BHAI DIXIT JI NE SAMPURNA BHARAT KI SAMASYA KE NIRAKARAN KA SARAL MARGA PRASASTA KIYA HAI HAM SABHI KO SAMUHIK HO SATASANG KARTE HUE KARYANWAYAN ME LAG JANA HAI AVILAMBA
    9039233649







    जवाब देंहटाएं

आप के इस लेख पर विचार क्या है? क्या आप लेखक के विचारों से सहमत हैं असहमत..
आप अपनी राय कमेन्ट बॉक्स में लिखकर हमारा मार्गदर्शन करें..